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मंगलवार, 3 मार्च 2015

क्या था वो श्राप जिसकी वजह से सीता की अनुमति के ,बिना उनका स्पर्श नहीं कर पाया रावण?

क्या था वो श्राप जिसकी वजह से सीता की अनुमति के ,बिना उनका स्पर्श नहीं कर पाया रावण?

विभिन्न धर्मों और मान्यताओं के देश भारत में अलग-अलग देवी-देवताओं को मानने वाले लोग रहते हैं. जिनमें से एक हैं भगवान श्रीराम. भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवनकाल मर्यादा के बंधन से बंधा है जिसकी वजह से उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम कहा जाता है. पुत्र और पति दोनों ही रूपों में श्रीराम ने मर्यादा का पालन करने वाले श्रीराम की पत्नी माता सीता ने भी अपने पतिवृता धर्म को बखूबी निभाया. असुर सम्राट रावण की कैद में एक लंबा समय गुजारने के दौरान उन्होंने कभी रावण को अपने समीप तक नहीं आने दिया. वैसे कभी आपने सोचा है कि लंका का राजा रावण अगर चाहता तो सीता को किसी बेहे समय अपनी पत्नी बना सकता था लेकिन फिर भी उसने सीता की स्वीकृति का इंतजार क्यों किया? क्या वह सीता के क्रोध से डरता था या फिर श्रीराम के? वह किसी वचन में बंधा था या फिर वह श्रापित था? आलीशान महल को छोड़कर उसने क्यों सीता को एक वाटिका के अंदर क्यों रखा? इन सब सवालों के जवाब भी पुराणों में ही छिपे हैं:


रावण की सोने की लंका का निर्माण कुबेर ने किया था, जिसकी सुंदरता देखते ही बनती थी. यह भव्य और विशाल तो थी ही लेकिन इतना आकर्षक थी कि जो इसे देखता, बस देखता ही रह जाता. लेकिन फिर भी सीता को कैद करने के बाद रावण ने उन्हें लंका के किसी महल में नहीं बल्कि वाटिका में इसलिए रखा क्योंकि वह नलकुबेर के श्राप से भयभीत था.

स्वर्ग की खूबसूरत अप्सरा रंभा, कुबेर के पुत्र नलकुबेर से मिलने धरती पर आई थी और जब रावण की दृष्टि रंभा पर पड़ी तो वह उसके सौंदर्य पर मोहित हो गया. रंभा ने उसे कहा भी कि वह नलकुबेर की होने वाली पत्नी हैं लेकिन फिर भी रावण ने उनका सम्मान नहीं किया और रंभा के साथ दुर्व्यवहार किया. जब इस बात की खबर नलकुबेर को मिली तो उसने रावण को श्राप दे दिया कि जब भी वह कभी किसी स्त्री को बिना उसकी स्वीकृति के छुएगा या फिर अपने महल में रखेगा तो वह उसी क्षण भस्म हो जाएगा. इसी श्राप की वजह से रावण ने बिना सीता की स्वीकृति के ना तो उन्हें स्पर्श किया और ना ही उन्हें अपने महल में रखा.

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