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मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

JARA HANS LO YAAR

रात को या दिन को
अकेले में या मेले में
हम सब गुनगुनाते रहें
क्योंकि गुनगुनाते रहे हैं भौंरे
गुनगुना रही हैं मधुमक्खियाँ
नीम के फूलों को
चूसने की धुन में
और नीम के फूल भी महक रहे हैं
छोटे बड़े सारे पंछी चहक रहे हैं|

क्या हम कम हैं इनसे
अपने मन की धुन में
या रूप में या गुन में
सन गाएँ सब गुनगुनाएँ
झूमे नाचे आसमान सिर पर उठाएँ!
-भवानीप्रसाद मिश्र

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