उस धमाके में और भी लोगों की जानें जाती अगर ये कुत्ता न होता
बात 21 साल पहले की है जब 12 मार्च 1993 के दिन सिर्फ दो घंटे 12 मिनट में मायानगरी मुंबई ने 12 धमाके झेले. इन धमाकों ने 257 लोगों की जानें ली और करीब 700 लोग जख्मी हुए थे. ये संख्या और भी बढ़ सकती थी अगर 'जंजीर' ने अपनी सूझबूझ और समझदारी नहीं दिखाई होती.
अब आप सोच रहें होंगे कि यह जंजीर कौन है जिसकी यहां चर्चा हो रही है. दरअसल जंजीर मुंबई पुलिस की डॉग स्क्वायड का सबसे काबिल डॉग (कुत्ता) था. जिसने अपनी काबलियत से 1993 मुंबई हमले में हजारों किलो विस्फोटक सामग्री को खोज निकाला
जंजीर ही एकमात्र वह कारण बना, जिसकी समझदारी से पूरे मुंबई में 11 मिलिट्री बम, 57 कंट्री मेड बम, 175 पेट्रोल बम, और 600 डेटोनेटर, 249 हैंड ग्रेनेंड्स और 6 हजार 406 जिंदा विस्फोटक सामग्री को ढूंढ निकाला था. इस तरह जंजीर ने मुंबई, मुंब्रा, और ठाणे में कम से कम तीन और हमले को टालने में मुंबई पुलिस की मदद की
जंजीर' की बहादुरी ने उसे रातों रात लोगों को चहेता बना दिया और वह एक हीरो के रूप में लोगों के दिलों में बस गया. दुखद बात यह रही कि फेफड़े और पंजे में सूजन के कारण 16 नवंबर, 2000 में जंजीर की मौत हो गई. हजारों लोगों की जान बचाने वाले इस हीरो का मुंबई पुलिस ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया था. 'जंजीर' के अंतिम संस्कार के दौरान मुंबई पुलिस के कई आला अफसर भी मौजूद रहे.
कैसे मिली मुंबई पुलिस में इंट्री
लैब्राडोर प्रजाजि से संबंध रखने वाला जंजीर पुणे के डॉग ट्रेनिंग सेंटर ऑफ दी क्रिमिनल इवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट से प्रशिक्षित था. 29 दिंसबर 1992 में वह मुंबई पुलिस के बम डिटेक्शन और डिस्पोजल स्क्वायड से जुड़ा जिसे गणेश एंडेल और वी जी राजपूत हैंडल करते थे. जंजीर का नाम 1973 में आई अमिताभ की फिल्म जंजीर से लिया गया था.
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