क्षेत्रीय केन्द्रों के लिए 2 दिसम्बर 2015 को संसद में जैव प्रौद्योगिकी विधेयक 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी. बिल का उद्देश्य नवंबर 2008 में एक कार्यकारी आदेश के तहत स्थापित किए गए कि केन्द्रों को कानूनी दर्जा प्रदान करना है. इस तरह का केंद्र वर्तमान में एनसीआर बायोटेक विज्ञान क्लस्टर, फरीदाबाद में कार्यरत है. क्षेत्रीय केन्द्रों के लिए जैव प्रौद्योगिकी विधेयक 2015 मुख्य विशेषताएं- ; केंद्र स्वायत्त निकाय के रूप में स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए सक्षम होगा.
• जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय महत्व की संस्था के रूप इन केन्द्रों को मान्यता मिल जाएगी.
• ऐसे केंद्र उद्योग के लिए प्रासंगिक आदर्श शिक्षा कार्यक्रमों पर जोर देने हेतु जैव प्रौद्योगिकी में अंतःविषय शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए एक क्षेत्रीय हब का काम करेंगे.
• ये केंद्र जैविक दवाओं की खोज विज्ञान, नैनो विज्ञान और चिकित्सा, इमेजिंग तकनीक, डिजाइनर फसलों, जैव प्रौद्योगिकी और बायोमेटेरियल और बौद्धिक संपदा के साथ अन्य क्षेत्रों में मुख्य रूप से ध्यान देंगे.
• भारत में इन केन्द्रों से इस क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन की कमी कोल कम किया जा सकेगा.
• यह एशिया और सार्क क्षेत्र के देशों के बीच जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के केंद्र बन सकते हैं.
• जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय महत्व की संस्था के रूप इन केन्द्रों को मान्यता मिल जाएगी.
• ऐसे केंद्र उद्योग के लिए प्रासंगिक आदर्श शिक्षा कार्यक्रमों पर जोर देने हेतु जैव प्रौद्योगिकी में अंतःविषय शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए एक क्षेत्रीय हब का काम करेंगे.
• ये केंद्र जैविक दवाओं की खोज विज्ञान, नैनो विज्ञान और चिकित्सा, इमेजिंग तकनीक, डिजाइनर फसलों, जैव प्रौद्योगिकी और बायोमेटेरियल और बौद्धिक संपदा के साथ अन्य क्षेत्रों में मुख्य रूप से ध्यान देंगे.
• भारत में इन केन्द्रों से इस क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन की कमी कोल कम किया जा सकेगा.
• यह एशिया और सार्क क्षेत्र के देशों के बीच जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के केंद्र बन सकते हैं.
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