व्रत रखना : वैसे कर्तव्य तो 10 हैं, लेकिन हिन्दू धर्म के 5 प्रमुख कर्तव्यों में शामिल है व्रत। व्रत को उपवास भी कह सकते हैं। सप्ताह में एक बार व्रत जरूर रखें। उस दिन किसी भी प्रकार का अन्न न खाएं। भूखे नहीं रह सकते हैं तो सिर्फ फलाहार ही लें और सुबह नींबू और धनिये का रस पीएं।
व्रत का महीना 'श्रावण' माह क्यों, जानिए
जानिए, कौन से व्रत और उपवास का क्या है लाभ...
वर्ष में एक बार श्रावण माह में कठिन व्रतों का पालन करना चाहिए। श्रावण माह चतुर्मास का पहला माह होता है। इसमें के प्रत्येक दिन व्रत रखना जरूरी है। इससे जहां आपकी सेहत में सुधार होगा वहीं ईश्वर कृपा भी बनी रहेगी। जिस तरह मुसलमानों में रमजान माह में रोजा रहता है उसी तरह श्रावण माह में व्रत रहता है।
व्रत का अर्थ सिर्फ भोजन पर प्रतिबंध ही नहीं : अतिभोजन, मांस एवं नशीली पदार्थों का सेवन नहीं करना ही व्रत नहीं होता बल्कि अवैध यौन संबंध, जुए आदि बुरे कार्यों से बचकर रहना, विवाह संस्कार का पालन करना, धार्मिक परंपरा के प्रति निष्ठा भी व्रत में शामिल है। इनका गंभीरता से पालन करना चाहिए अन्यथा एक दिन सारी आध्यात्मिक या सांसारिक कमाई पानी में बह जाती है।
इसका लाभ- व्रत से नैतिक बल मिलता है तो आत्मविश्वास तथा दृढ़ता बढ़ती है। जीवन में सफलता अर्जित करने के लिए व्रतवान बनना जरूरी है। व्रत से जहां शरीर स्वस्थ बना रहता है, वहीं मन और बुद्धि भी शक्तिशाली बनते हैं। सबसे उत्तम लाभ यह कि आप देवी और देवताओं की नजरों में अच्छे बन जाते हैं।
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