विष्णु पुराण महत्व

महर्षि पाराशर द्वारा रचित इस ग्रंथ में सात हजार श्लोक उपलब्ध हैं. परंतु कुछ ग्रन्थों में इसके श्लोकों की संख्या तेईस हज़ार तक भी कही गई है.
विष्णु पुराण में नैतिकता पर बल दिया गया है व्यक्ति के श्रेष्ठ कर्मों को निर्धारित किया गया है तथा उनके अनुसार कार्य करने की खूबियों का पालन किया गया है. इसमें आत्मा को निर्गुण बताया गया है.और आत्मा में ही ब्रह्म का निवास माना गया है. सभी को सद भाव से कर्म करने की प्रेरणा प्रदान की गई है.
ईश्वर की भक्ती दिन दुखियों की सेवा से प्राप्त कि जा सकती है और जो भी भक्ति भाव के साथ विष्णु पुराण का पाठ करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा वह विष्णु लोक को प्राप्त होता है.
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