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बुधवार, 16 दिसंबर 2015

Jahar kha lene par bachav....

परिचय-

बहुत से व्यक्ति जानकर या अनजाने में जहर जैसी खतरनाक चीज का सेवन कर लेते हैं जो शरीर में जाकर पेट में दर्द, जलन, दस्त, उल्टी, अनिद्रा, बेहोशी आदि के लक्षण प्रकट कर देता है। ऐसी स्थिति में तुरंत चिकित्सा न मिलने की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

जहर कई प्रकार के होते हैं- जिनमें से कई ऐसे होते हैं जो हमारे रोजाना की जिंदगी में प्रयोग होते हैं जैसे- बासी भोजन, मिट्टी का तेल, पेट्रोल, फिनाइल, फर्श-पॉलिश, कीटनाशी रसायन, डिटरजेंट, टॉयलेट क्लीनर और एल्कली, तेजाब, दीवारों के रंग तथा बहुत से रसायन। इनके अलावा ऐसी और भी बहुत सी चीजें हैं जिनको अगर सही मात्रा में ले तों वह मनुष्य के लिए खुराक का काम करती हैं लेकिन अगर उनको ज्यादा मात्रा में ले लिया जाए तो वही जहर का काम भी करती है।

व्यस्कों की तुलना में बच्चों, खासकर छोटे बच्चों द्वारा अनजाने में घर में मौजूद जहरीली वस्तुओं को खा लेने का खतरा बहुत अधिक होता है। इसलिए जहर के बारे में 'रोक इलाज से बेहतर' नीति का पालन करना ही अच्छा होता है।

जहर का सेवन करने की ज्यादातर घटनाएं घरों में ही होती हैं-जैसे- 34 प्रतिशत रसोईघर में, 27 प्रतिशत बैडरूम में, 15 प्रतिशत स्नानघर और शौचालय में तथा 9 प्रतिशत रहने वाले कमरों में। इसलिए इन स्थानों पर ऐसी वस्तुओं को, जो जहरीली साबित हो सकती हैं, वहां पर रखनी चाहिए जहां तक बच्चों का हाथ आदि न पहुंच सकें। जहरीले पदार्थो को कभी भी खाने वाले पदार्थो के साथ नहीं रखना चाहिए। साथ ही विषैले पदार्थों और औषधियों को उन पैकिंगों में रखें, जिन पर उनके नाम साफ रूप से लिखें हों। उन्हें किसी दूसरे बर्तन में न डालें. जिस पर उनका नाम न लिखा हो।

बची हुई या बेकार दवाई को पूरी सावधानी के साथ ऐसी जगह पर फेंकें कि बच्चे उसे न उठा पाएं। इसके लिए उस बेकार दवाई को वाशबेसिन या नाली आदि में फेंककर पानी से बहा देना ज्यादा अच्छा रहता है।

हर तरह की दवाईयों को बच्चों की पहुंच से दूर ही रखें। बच्चे को कभी भी कोई दवा अंधेरे में न तो खिलानी चाहिए और न ही पिलानी चाहिए।

बच्चों को मीठी दवाई खिलाते या पिलाते समय कभी यह नहीं कहना चाहिए कि वह टॉफी है। हो सकता है बाद में बच्चा उस दवाई को, टॉफी समझकर, उस समय भी खाता रहे, जब उसे दवाई की जरूरत न हो।

यह जरूरी नहीं कि जहरीली वस्तुएं ठोस या द्रव के रूप में ही हों वे गैस के रूप में भी हो सकती हैं और सांस के साथ शरीर में पहुंच जाने पर उनके जहरीले प्रभाव प्रकट हो सकते हैं। धुआं, मिट्टी के तेल के स्टोव से निकलने वाली गैस, लाइट पेट्रोलियम गैस (घरेलू ईंधन गैस), सीवर में से निकलने वाली गैसें, मोटर वाहनों से एग्जॉस्ट के रूप में निकलने वाली गैसें, बम विस्फोटों से उत्पन्न गैसें तथा अनेक उद्योगों में बेकार पदार्थों के रूप में निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, हाइड्रोजन सायनाइड आदि ऐसी ही गैसें हैं।

बहुत से उद्योगों जैसे रसायन, औषधि, कीटनाशी, पेंट, विस्फोटक आदि में काम करने वाले व्यक्तियों को बहुत ज्यादा जहरीले पदार्थो के साथ काम करना पड़ता है और पर्याप्त सावधानियां बरतने के बावजूद भी कई बार जहरीले पदार्थ उनके शरीर में पहुंच जाते हैं।

कुछ लोग किसी तरह की परेशानी में घिरकर या सदमे की स्थिति में आत्महत्या करने के लिए जान-बूझकर जहर का सेवन कर लेते हैं। इस प्रकार कितने ही तरीकों से जहर हमारे शरीर में पहुंच सकता है।

अब मान लीजिए कि गलती से या जान-बूझकर किसी व्यक्ति के शरीर में जहर पहुंच जाता है और उस समय डॉक्टर तक पहुंचने की कोई सुविधा उपलब्ध न हो तो ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए कि जिससे जहर पूरे शरीर में न फैल सके। नीचे कुछ ऐसी उपाय बताए जा रहें है जिनके द्वारा पीड़ित व्यक्ति के शरीर में जहर को फैलने से रोका जा सकता है-

यदि किसी व्यक्ति के शरीर में कोई जहरीला पदार्थ प्रवेश कर गया हो तो सबसे पहले उस व्यक्ति को खुले स्थान पर ले जाना चाहिए। फिर तुरंत ही डॉक्टर को फोन कर देना चाहिए या किसी दूसरे व्यक्ति से कहकर पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए। फिर स्वयं उस चीज को उठाकर अपने पास रख लेना चाहिए जिसका जहर व्यक्ति के शरीर में पहुंचा हो क्योंकि उस वस्तु को देखकर डॉक्टर को तुरंत पता चल जाएगा कि पीड़ित व्यक्ति के शरीर में पहुंचा जहर कौन सा था जिससे उसे चिकित्सा करने में भी आसानी होगी। जहर पी लेने के बाद पीड़ित व्यक्ति द्वारा की गई उल्टी या थूक का नमूना भी डॉक्टरी जांच के लिए रख लेना चाहिए।

जहर का सेवन करने के बाद अगर व्यक्ति बेहोश हो जाए तो उसे उल्टी करवाने की कोशिश न करें। उसे किसी सख्त सतह पर पीठ के बल लिटा दें। इस स्थिति में पेट के ऊपर कोई दबाव नहीं पड़ता। इसलिए उल्टी आने पर पदार्थ उसके वाक् अंग (वॉयस बॉक्स) में नहीं अटकता और न ही जीभ वायुनली में अटकती है। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर कृत्रिम सांस देने के लिए, यह स्थिति सबसे अच्छी होती है।

पीड़ित व्यक्ति अगर बहुत ज्यादा उल्टी कर रहा हो, तो उसे करवट देकर लिटाएं। उसकी एक टांग फैली रहने दें और दूसरी टांग को घुटने और जांघ पर मोड़ दें।

अगर पीड़ित व्यक्ति बेहोश हो और उसकी सांस बहुत धीमी चल रही हो या रुक गई हो तो डॉक्टर के आने तक उसे कृत्रिम सांस देना शुरू कर दें।

पीड़ित व्यक्ति के गले के पीछे हल्की थपकियां देकर या उसे नमक का घोल पिलाकर उल्टी करवाने की कोशिश करें। (नमक का घोल बनाने के लिए एक जग गुनगुने पानी में चम्मच नमक डालें।)

जहर खा लेने का शक हो जाने के बाद पीड़ित व्यक्ति का पेट खाली करा देना अच्छा होता है। अगर वास्तव में उसने जहर खाया होगा, तो ऐसा करने से बहुत लाभ होगा और अगर नहीं खाया होगा तो भी कोई हानि नहीं होगी। यहां यह बता देना सही रहेगा कि जहर खाने जाने के 8 घंटे के बाद तक भी उसे पेट से निकाला जा सकता है।

तेजाब, एल्कली, पेट्रोल, मिट्टी का तेल, पेंट, थिनर, फर्नीचर पॉलिश, शैंपू, डिटरजेंट आदि कुछ ऐसी वस्तुएं हैं जिनको खा लेने के बाद पीड़ित व्यक्ति को उल्टी नहीं करानी चाहिए।

पीड़ित व्यक्ति को काफी मात्रा में ठंडा पानी पिलाने से भी जहर का असर हल्का हो जाता है। इससे शरीर की जलन कम हो जाती है और उल्टियों के कारण शरीर में हो जाने वाली पानी की कमी की भी पूर्ति हो जाती है। कच्चे नारियल का पानी अच्छा रहता है क्योंकि उससे पोषण भी प्राप्त हो जाता है। पीड़ित व्यक्ति को शामक पेय, दूध तथा अंडे का पीला पदार्थ, पानी में मिलाकर देना भी लाभकारी होता है। अगर पीड़ित छोटा बच्चा हो और उसने घर में से ही किसी जहरीली वस्तु की थोड़ी मात्रा ली हो तो ऐसा करना विशेष रूप से उचित रहता है।

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