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🧘🏻♂ *वाह रे मैं ब्राह्मण आत्मा* 🧘🏻♂
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🔰 *ब्राह्मण अर्थात* --"संपूर्ण पवित्रता"🔰
अपने को ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण समझते हो ।ब्राह्मणों का धर्म और कर्म क्या है ?वह जानते हो ।धर्म अर्थात मुख्य धारणा है ,संपूर्ण पवित्रता।
संपूर्ण पवित्रता की परिभाषा
संपूर्ण पवित्रता की परिभाषा जानते हो ,संकल्प व स्वप्न मे भी अपवित्रता का अंश मात्र भी ना हो ।ऐसे श्रेष्ठ थारणा करने वाले ही सच्चे ब्राह्मण कहलाते हैं, इसी धारणा के लिए गायन है "प्राण जाए पर धर्म ना जाए"। ऐसी हिम्मत है,ऐसा दृढ़निश्चय करने वाले अपने को समझते हो ।किसी भी प्रकार की परिस्थिति में अपने धर्म के प्रति अर्थात धर्म के लिए कुछ त्याग करना पड़े ,सहन करना पड़े ,सामना करने पड़े वा साहस रखना पड़े तो खुशी-खुशी करेंगे ।पीछे हटेंगे नहीं ,घबराएंगे नहीं।
चेकिंग .........सब जानते हो कि पवित्रता सुख शांति की जननी है अर्थात् जहां पवित्रता होगी ,वहाँ सुख शांति की अनुभूति अवश्य होगी ।इसी आधार पर अपने को चैक करो। मंसा संकल्प में पवित्रता ह,उसकी निशानी है ,मंसा मे सदा सुखस्वरूप ,शांत स्वरूप की अनुभूति होगी।अगर क्यों, क्या,का क्वेश्चन भी है ,तो संकल्प शक्ति मे एकाग्रता नहीं होगी।जहाँ एकाग्रता नहीं होगी वहाँ सुख ,शांति की अनुभूति हो नहीं सकती। सदा सुखी और शांत की निशानी है ,सदा हर्षित रहना।सुलझी हुई आत्मा का स्वरूप सदा हर्षित रहेगा ,उलझी हुई आत्मा कभी हर्षित नहीं रह सकती। उसका सदा खोया हुआ चेहरा दिखाई देगा और वह सब कुछ पाया हुआ दिखाई देगा ।जब कोई चीज खो जाती है ,तो उलझन की निशानी क्यों ,क्या ,कैसे हो जाती है।रूहानी स्थिति में भी जो भी पवित्रता को खोता है। उसकी अंदर क्यों ,क्या की उलझन होती है ,तो समझा कैसे चेक करना है ?सुख-शांति की प्राप्ति के स्वरूप के आधार पर मंसा पवित्रता को चैक करो। दूसरी बात आपकी मनसा द्वारा अन्य आत्माओं को सुख शांति के अनुभूति नहीं होती अर्थात पवित्र संकल्पों का प्रभाव अन्य आत्माओं पर नहीं पड़ता तो उसका भी कारण चेक करो किसी भी आत्मा की जरा भी कमजोरी वा अशुद्धि अपने संकल्प में धारण की हुई है, तो वह आत्मा अन्य आत्मा को सुख शांति की अनुभूति करा नहीं सकेंगे या तो उस आत्मा के प्रति व्यर्थ वा अशुद्ध भाव है या मनसा पवित्रता की शक्ति मैं परसेंटेज की कमी है जिस कारण औरत अपने पवित्रता का प्रभाव पर नहीं सकता स्वयं तक है लेकिन दूसरों तक नहीं हो सकता लाइट है लेकिन सर्च लाइट नहीं है तू पवित्रता की संपूर्णता की परिभाषा है स्वयं भी सदा सुख शांति स्वरूप और दूसरों को भी सुख-शांति की प्राप्ति का अनुभव कराने वाले ऐसी पवित्र आत्मा अपनी प्राप्ति के आधार पर औरों को भी सुख और शांति शीतलता के कितने फैलाने वाली होगी तो समझा संपूर्ण पवित्रता क्या है पवित्रता की शक्ति इतनी महान है (by EasyClip)
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🔰 *ब्राह्मण अर्थात* --"संपूर्ण पवित्रता"🔰
अपने को ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण समझते हो ।ब्राह्मणों का धर्म और कर्म क्या है ?वह जानते हो ।धर्म अर्थात मुख्य धारणा है ,संपूर्ण पवित्रता।
संपूर्ण पवित्रता की परिभाषा
संपूर्ण पवित्रता की परिभाषा जानते हो ,संकल्प व स्वप्न मे भी अपवित्रता का अंश मात्र भी ना हो ।ऐसे श्रेष्ठ थारणा करने वाले ही सच्चे ब्राह्मण कहलाते हैं, इसी धारणा के लिए गायन है "प्राण जाए पर धर्म ना जाए"। ऐसी हिम्मत है,ऐसा दृढ़निश्चय करने वाले अपने को समझते हो ।किसी भी प्रकार की परिस्थिति में अपने धर्म के प्रति अर्थात धर्म के लिए कुछ त्याग करना पड़े ,सहन करना पड़े ,सामना करने पड़े वा साहस रखना पड़े तो खुशी-खुशी करेंगे ।पीछे हटेंगे नहीं ,घबराएंगे नहीं।
चेकिंग .........सब जानते हो कि पवित्रता सुख शांति की जननी है अर्थात् जहां पवित्रता होगी ,वहाँ सुख शांति की अनुभूति अवश्य होगी ।इसी आधार पर अपने को चैक करो। मंसा संकल्प में पवित्रता ह,उसकी निशानी है ,मंसा मे सदा सुखस्वरूप ,शांत स्वरूप की अनुभूति होगी।अगर क्यों, क्या,का क्वेश्चन भी है ,तो संकल्प शक्ति मे एकाग्रता नहीं होगी।जहाँ एकाग्रता नहीं होगी वहाँ सुख ,शांति की अनुभूति हो नहीं सकती। सदा सुखी और शांत की निशानी है ,सदा हर्षित रहना।सुलझी हुई आत्मा का स्वरूप सदा हर्षित रहेगा ,उलझी हुई आत्मा कभी हर्षित नहीं रह सकती। उसका सदा खोया हुआ चेहरा दिखाई देगा और वह सब कुछ पाया हुआ दिखाई देगा ।जब कोई चीज खो जाती है ,तो उलझन की निशानी क्यों ,क्या ,कैसे हो जाती है।रूहानी स्थिति में भी जो भी पवित्रता को खोता है। उसकी अंदर क्यों ,क्या की उलझन होती है ,तो समझा कैसे चेक करना है ?सुख-शांति की प्राप्ति के स्वरूप के आधार पर मंसा पवित्रता को चैक करो। दूसरी बात आपकी मनसा द्वारा अन्य आत्माओं को सुख शांति के अनुभूति नहीं होती अर्थात पवित्र संकल्पों का प्रभाव अन्य आत्माओं पर नहीं पड़ता तो उसका भी कारण चेक करो किसी भी आत्मा की जरा भी कमजोरी वा अशुद्धि अपने संकल्प में धारण की हुई है, तो वह आत्मा अन्य आत्मा को सुख शांति की अनुभूति करा नहीं सकेंगे या तो उस आत्मा के प्रति व्यर्थ वा अशुद्ध भाव है या मनसा पवित्रता की शक्ति मैं परसेंटेज की कमी है जिस कारण औरत अपने पवित्रता का प्रभाव पर नहीं सकता स्वयं तक है लेकिन दूसरों तक नहीं हो सकता लाइट है लेकिन सर्च लाइट नहीं है तू पवित्रता की संपूर्णता की परिभाषा है स्वयं भी सदा सुख शांति स्वरूप और दूसरों को भी सुख-शांति की प्राप्ति का अनुभव कराने वाले ऐसी पवित्र आत्मा अपनी प्राप्ति के आधार पर औरों को भी सुख और शांति शीतलता के कितने फैलाने वाली होगी तो समझा संपूर्ण पवित्रता क्या है पवित्रता की शक्ति इतनी महान है (by EasyClip)
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