



इस 'संख्या' का राज क्या है ?
देखिए जरा ! चीन ने फिर कमाल कर दिखाया और चीन ही क्यों अमेरिका, इंग्लैंड ना जाने कितने ऐसे देश हैं जिनका गुणगान उनके देश के लोग भले ही ना करें पर भारतीय उनका गुणगान करने में पीछे नहीं रहते हैं. क्या आप भी उन लोगों में एक हैं जिन्हें 'आई एम इंडियन' कहना अच्छा नहीं लगता है तो यकीनन इसे पढ़ने के बाद आप गर्व से कहेंगे 'आई एम इंडियन'.
'प्लास्टिक सर्जरी' इस शब्द को सुनते ही आपके दिमाग में विदेशी डॉक्टरों के चेहरे घूमने लगते होंगे पर जरा ठहरिए ! एक बार इस सच को भी जान लीजिए. 2000 ईसा पूर्व पहले भारत में प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत हुई और बाद में जाकर भारत अन्य देशों के लिए प्लास्टिक सर्जरी के मामले में मार्गदर्शक बन गया.

कुदरत का करिश्मा कहें या फिर पिछले जन्म का…..
शायद ही कोई ऐसा हो जिसे हीरे के आभूषण पसंद ना आते हों. क्या आप जानते हैं कि 5000 साल पहले भारत में हीरे को खोजा गया था.
अधिकाश लोग यह जानते होंगे कि मारकोनी ने रेडियो तरंगों का इस्तेमाल संदेश भेजने के लिए किया. मारकोनी को बिना तार के संदेश भेजने की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार भी दिया गया पर सबसे पहले रेडियो द्वारा संदेश भेजने का नमूना सर जगदीश चन्द्र बोस ने पेश किया था.
किसी भी प्रकार के संदेश को लिखने के लिए स्याही का प्रयोग किया जाता है पर क्या आप जानते हैं कि चौथी शताब्दी ईसा पूर्व साउथ इंडिया में नुकीली सुई के द्वारा स्याही का प्रयोग किया जाने लगा था.
धातु विद्या की शुरुआत भारत में सबसे पहले की गई थी और भारत अन्य देशों के लिए मार्गदर्शक बना. दो हजार साल पहले भारत में स्टील धातु निर्मित की गई थी.
छठी शताब्दी ईसा पूर्व चिकित्सक सुश्रुत, मोतियाबिन्द की सर्जरी के बारे में जानकारी रखते थे. भारत को अपना मार्गदर्शक बनाकर ही चीन ने इस सर्जरी की शुरुआत की.
चेंज योर सिग्नेचर! आपकी तकदीर बदल जाएगी
क्या आप जानते हैं कि छठी शताब्दी के लगभग भारत में गुप्ता साम्राज्य में शतरंज का खेल खेला जाता था. इतना ही नहीं, सांप-सीढ़ी के खेल को भी सालों पहले भारतीय राजा-महाराजा खेला करते थे.

सोलहवीं शताब्दी में मुगल शासक अकबर के शासनकाल के समय ऐसे घर का निर्माण किया गया था जिसे कुछ ही समय में उठाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता था.
आज मार्केट में हजार किस्म के शैम्पू हैं पर क्या आप जानते हैं कि शैम्पू शब्द को 'चम्पू' शब्द से लिया गया है. मुगल शासनकाल के समय चम्पू का इस्तेमाल सिर्फ बालों में तेल लगाने के लिए किया जाता था.
ऐसा माना जाता है कि विदेशों से ही फ्लश टॉयलेट का चलन शुरू हुआ पर ऐसा नहीं है. हड़प्पा सभ्यता के समय फ्लश टॉयलेट की खोज की जा चुकी थी.
द्धिआधारी अंक की खोज पिंगल ने 200 ईसा पूर्व की थी. पिंगल संस्कृत में 'छन्दशास्त्र' के रचनाकार का पारंपरिक नाम है.
बहुत रोचक है इस होटल में प्रवेश के नियम !!
कागज से बाहर निकल जाती है यह पेंटिंग
अद्भुत है ग्यारहवीं शताब्दी में बना यह मंदिर!!
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